Ekta Singh

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लेखनी कहानी -12-Jan-2023

        अपने मुँह मियां मिट्ठू बनना 
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विभु- नमस्ते दीदी कैसे हो ।
उषा- मैं  ठीक हूँ तुम बताओ कैसे आना हुआ?
विभु-अरे दीदी गेट तो खोलो ।
उषा तभी दरवाजा खोल देती है और विभु अंदर आ जाता है।
विभु-दीदी थोड़ा सा खट्टा मिलेगा क्या?
ऊषा किचन में जाती है और वह विभु की कटोरी में थोड़ा सा दही डालकर दे देती है।
उषा- विभु   मुझे आज कहीं जाना है तुम बाद में आना फिर बात करते हैं।
विभु उषा के  घर से चला जाता है।
उषा फर्स्ट फ्लोर पर रहती है। उषा एक टीचर हैं लेकिन पारिवारिक समस्या के कारण उसको  स्कूल छोड़ना पड़ा। अब वह शाम के समय घर पर ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है।

विभु 28 वर्ष एक अविवाहित लड़का है।जो अपने माता-पिता के साथ रहता है।विभु का आधा शरीर 
जन्म से कम काम करता है। उसकी एक आँख भी कमजोर है। वह पाँचवी तक स्कूल गया। फिर घर में ही पढ़ाई की। दो साल उसने संगीत का भी कोर्स किया।वह उषा के नीचे वाले फ्लैट में रहता है। विभु दिमाग से बहुत तेज़ लड़का है बिजली की सब फिटिंग कर लेता है।संगीत का भी अच्छा ज्ञान है  वह अपने पिता के साथ शेयर मार्केट का भी काम करता है।10 से 15 हजार रुपये  महीने के कमा लेता है। 
पड़ोसी होने के नाते उषा भी उसको  छोटे भाई की तरह मानती है।
 
शरीर से कमजोर होने पर भी बहुत अच्छी कार भी चला लेता है। जब उषा ने कार चलानी सीखी तो विभु ने उसकी बहुत हेल्प की।फिर उषा अच्छी कार चलाने लगी। 

उषा  किसी का एहसान कभी नहीं भूलती।इसलिए वह भी विभु की छोटी-छोटी मदद कर देती थीं। 

लेकिन विभु की एक बहुत खराब आदत थी। वह हाथ धो कर पीछे पढ़ जाता था। हर जगह अपनी बड़ाई करने लगता रहता और अपने माता-पिता को खराब कहता।
मैंने उसको समझाया कि "अपने मुँह मियां मिट्ठू नहीं बनते" पर उसको नहीं समझ आता।

उषा जब भी घर से निकलती अगर उसने देखा तो टोक देता।बातें करने खड़ा हो जाता। 

उषा उसकी इन आदतों से परेशान हो गई थी।
लेकिन वह उसको कुछ नहीं कहती। 

एक दिन की बात है ऊषा के घर विभु आता है

विभु -हैलो दीदी 
उषा-क्या हुआ विभु रो क्यूँ रहा है? 
विभु-दीदी मेरे मामा मेरे लिए रिश्ता लाए हैं।
उषा-अरे वाह अच्छी बात है अरे! तुम वैसे भी शादी के लिए शोर मचाते रहते हो ।
विभु-पर दीदी मामा जी जो रिश्ता लाए हैं उस लड़की के दोनों पैर खराब है।वह बैसाखियों से चलती है ऐसी लड़की मुझे क्या संभालेगी ओर उसने आठवीं तक पढ़ाई की है।ऐसी लड़की से मैं शादी नहीं कर सकता। 

दीदी  मुझे पूरी तरह से सही लड़की चाहिए।पढी- लिखी हो जॉब करती हो ,और सुन्दर भी होनी चाहिए ।उसका का तो रंग भी काला है।मेरे मामा तो ऐसा लगता है मेरे दुश्मन हैं। वो मेरा बुरा चाहते हैं।

उषा-बुरा मत मानना विभु इंसान को अपनी कमी भी देखनी चाहिए। एक बात बताओ जो लड़की तुम्हें पसंद आएगी वह भी यही सोचेंगी तुम ग्रेजुएट भी नहीं हो, तुम्हारी जॉब भी नहीं, तुम शरीर से भी ठीक नहीं।

विभु-दीदी आप मेरे बारे में ऐसा सोचते हो।आप देखना मैं एक साल के अंदर एक सुन्दर पढ़ी- लिखी जॉब वाली लड़की लाऊॅगा। और वह शरीर से भी फिट होगी ।आपका मुँह खुला रह जाएगा। इतनी सुन्दर मेरी बीवी होगी। आप शकुन डालने के लिए तैयार हो जाओ। 
ये उसका  घमंड बोल रहा है।

यह कह कर विभु उषा के घर से चला गया।
उषा भी अपने मन में सोचने लगी शायद चमत्कार हो जाए। 

उस दौरान विभु के लिए बहुत रिश्ते आए। लेकिन उसकी बड़ी-बड़ी बातें करने की आदत नहीं गई। 
अब उस बात को तीन साल हो गये। विभु की शादी नहीं हुई। आज भी वो ऐसे ही बड़ी-बड़ी बातें फेंकता रहता है। लोग उसका मजाक बनाते है।
अगर हमारे में कुछ भी काबलियत है तो उसका ढिंढोरा पीटने की जरूरत नहीं होती वह सबको एक दिन दिख जाती है।

ऐसे लोग अपना व्यक्तित्व भी खराब कर लेते है।
उनकी अच्छाई भी बुराई में बदल जाती है ।

एकता सिंह चौहान 
नई दिल्ली

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3 Comments

Gunjan Kamal

20-Jan-2023 04:55 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Varsha_Upadhyay

16-Jan-2023 08:34 PM

बहुत खूब

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अदिति झा

15-Jan-2023 06:16 PM

Nice 👍🏼

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